“कुरान करती है भारतीय संविधान का उल्लंघन”, वकील करुणेश शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की

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क्या कुरान भारत के संविधान का उल्लंघन करती है? ये सवाल कई बार उठाया जा चुका है, और इस बाबत काफी बहस भी हो चुकी है, लेकिन इस बार ख्यात वकील करुणेश शुक्ला ने एक कदम बढाते हुए इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगा दी है ।

वकील करुणेश शुक्ल ने लिखा है कि, कुरान में लिखा है बहुदेव उपासक / मूर्ति पूजा करने वाले काफिर है , और सूरा-तौबा, आयत नं 9:5 में लिखा है , काफिरों की घात लगाकर बैठो, उन्हें घेर लो, और मार डालो। यह हमारे संवैधानिक अधिकार अनुच्छेद 21, और 26 का हनन है, इसके लिए आज मैंने माननीय सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है

यहाँ आप इस याचिका कि जानकारी भी देख सकते हैं

संविधान का अनुच्छेद 21 क्या कहता है?

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 कहता है कि “किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त उसके जीवन और वैयक्तिक स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है”। मानवीय गरिमा के साथ जीना तथा वे सब पहलू जो जीवन को अर्थपूर्ण, पूर्ण तथा जीने योग्य बनाते हैं, इसमें शामिल है।

संविधान का अनुच्छेद 26 क्या कहता है?

अनुच्छेद 26: (धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता) व्यक्ति को अपने धर्म के लिए संस्थाओं की स्थापना और पोषण का, अपने धर्म विषयक कार्यों का प्रबंध करने का, जंगम और स्थावर संपत्ति के अर्जन और स्वामित्व का, ऐसी संपत्ति का विधि के अनुसार प्रशासन करने का, अधिकार होगा।

इस बात में कोई शक नहीं, कि कुरान में दी गयी कुछ आयतें काफी आपत्तिजनक है। इन पर व्यापक स्तर पर बहस होनी चाहिए, ताकि लोगो को इनकी सच्चाई पता लग सके। सुप्रीम कोर्ट को भी इस तरह के गैर संवैधानिक साहित्य पर रोक लगानी चाहिए, जिनसे सामाजिक तानाबाना बिगड़ सकता है ।

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